केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार आज शाम में होने जा रहा है. माना जा रहा है कि इसमें बिहार से भी तीन सांसदों को जगह दी जा सकती है. हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दल अंतिम समय तक इसमें बढ़ाेतरी की कोशिश में लगे हैं. बिहार से मंत्रिमंडल के संभावित चेहरों में कल तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) से पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम की चर्चा थी.हालांकि, अब कहा जा रहा है कि लिस्ट में उनका नाम नहीं है.इस बाबत स्थिति तो मंत्रिमंडल विस्तार के वक्त ही स्पष्ट हो पाएगी.जो भी हो, ये सुशील मोदी ही हैं, जिन्होंने लगातार अभियान चला कर बिहार में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की धुआंधार सियासत पर ब्रेक लगाया था.
केंद्र में दर जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की नीतीश सरकार के गठन के ठीक पहले बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाने का बड़ा फैसला किया.वे इसके पहले तक उपमुख्यमंत्री थे.तब इस फैसले के कई राजनीतिक अर्थ निकाले गए. इसे सुशील मोदी को बिहार की राजनीति में हाशिए पर धकेलने की कोशिश भी बताया गया.यह भी कहा गया कि पार्टी उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है. इसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया.
बड़ा सवाल: क्या मंत्रिमंडल में किए जाएंगे शामिल?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में सुशील मोदी को भी किसी बड़े विभाग की जिम्मेदारी देने की अटकलें लगाई जा रहीं थीं.उन्हें बिहार बीजेपी कोटा से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अटकलें तेज रहीं.लेकिन अब कहा जा रहा है कि संभावित मंत्रियों की लिस्ट से उनका नाम गायब है.ऐसे में सवाल यह है कि क्या उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जा रही है?
जेपी आंदोलन के साथ शुरू की थी राजनीति
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी बिहार की एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री रह चुके हैं. साल 1952 के पांच जनवरी को जन्में तथा पटना के सेंट माइकल हाइस्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त सुशील मोदी ने स्नातक की डिग्री पटना के बीएन कॉलेज से प्राप्त की.आगे स्नातकोत्तर (विज्ञान) की पढ़ाई छोड़ आपातकाल के खिलाफ जयप्रकाश नारायण के आंदोलन (JP Movement) में कूद पड़े.
कैसा रहा है सक्रिय राजनीतिक जीवन, जानिए
सक्रिय राजनीति में आने के बाद सुशील मोदी साल 1990 में पटना केंद्रीय विधानसभा (अब कुम्हार) से चुनाव जीता.उसी साल उन्हें बीजेपी बिहार विधानसभा दल का मुख्य सचेतक बनाया गया.आगे 1996 से 2004 तक वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे. साल 2004 में वे भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने. साल 2005 में जब बिहार में लालू राज के अंत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी, तो सुशील मोदी बिहार बीजेपी विधानमंडल पार्टी के नेता चुने गए. इसके बाद लोकसभा से इस्तीफा देकर उन्होंने बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला.साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद वे फिर उपमुख्यमंत्री बने. इसके अगले चुनाव में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, तब के दौर में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार के खिलाफ मुहिम चलाकर घोटालों की कई फाइलें खुलवा दीं. इस तरह साल 2017 में वे बिहार में जेडीयू-आरजेडी की महागठबंधन सरकार के पतन के पीछे प्रमुख भूमिका में रहे.इसके पहले उन्होंने ही कई साल पहले पटना हाईकोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर चारा घोटाला को उजागर कराया था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बचपन का रिश्ता
सुशील मोदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बचपन का रिश्ता रहा है.साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय वे स्कूली छात्रों को शारीरिक फिटनेस व परेड आदि का प्रशिक्षण देने के लिये सिविल डिफेंस कमांडेंट बनाए गए थे। साल 1962 में ही उन्होने आरएसएस ज्वाइन किया था.मैट्रिक की पढ़ाई के बाद सुशील मोदी ने आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए. उन्हें पटना शहर की संध्या शाखा का प्रभारी भी बनाया गया.